बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा के अद्भुत और अद्वितीय ललित निबंधों और उनकी अनुपम कविताओं पर आधारित कई पुस्तकें हमारे माध्यम से अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं। आचार्य जी की करीब करीब सभी रचनाएं अस्सी के दशक की है और वह भी इस दशक के प्रारम्भ की। आप मान लीजिये कि चार दशक से भी पहले की।
इन सभी रचनाओं पर अगर हमारी दृष्टि नहीं जाती, एक एक ललित निबंध और रचना को खोज खोज के निकाला नहीं जाता, इनको संग्रहीत नहीं किया जाता, इनको सुरक्षित सहेज कर रखा नहीं जाता, पुनसृजित नहीं किया जाता, टंकित नहीं किया जाता, संकलन सम्पादन कर प्रकाशित नहीं किया जाता तो निश्चय ही साहित्य जगत साहित्य के इन अनमोल धरोहरों से सर्वथा वंचित रह जाता। ऐसे ही कितने रचनाकारों की रचनाएं बिना प्रकाश में आए काल के गाल में समा गई होंगी। और यही दुर्दशा आचार्य रवीन्द्रनाथ ओझा की रचनाओं का भी हुआ होता जो 2010 में अचानक इन सभी अमूल्य वहुमूल्य रचनाओं को अप्रकाशित छोड़ इस दुनिया से चल बसे।